Sachin Pilot: राजस्थान की राजनीति का उभरता हुआ चेहरा 'सचिन पायलट' जरुर निराश होंगे। सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। वह 2018 में बनी कोंग्रेस की 'अशोक गहलोत सरकार' में शरूआती एक साल के लिए उपमुख्यमंत्री भी रहे। लेकिन दोनों नेताओं के आपसी विवाद के चलते उन्हें यह पद गंवाना पड़ा। पूरे पांच साल गहलोत और सचिन के समर्थकों के बीच खींचातानी चलती रही। कांग्रेस भी प्रदेश में इस अंदरुनी कलह से जूझती रही।
2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सरकार गंवाकर इस कलह का खामियाजा भुगतना पड़ा। वहीं एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी 'सचिन पायलट' से दूर होती चली गई। यही नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद भी उन्हें दोबारा नसीब नहीं हुआ। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के एफिडेविट में सचिन ने पत्नी सारा से तलाक का जिक्र किया था। यह खबर लोगों को चुनाव से ठीक पहले पता चली लेकिन तलाक काफी समय पहले ही हो चुका था।
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पत्नी सारा से तलाक के दुःख के बीच कांग्रेस के हाथ से सत्ता चले जाना .. इसके बाद फिर एक बार मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दावेदारी ठोक रहे सचिन का सपना टूट कर बिखर गया। इन सब के बाद अब अगले पांच साल सचिन को कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान से हटाकर नक्सल प्रभावित क्षेत्र छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया है। हाल ही में हुए चुनावों में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था और भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में सफल रही।
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सचिन को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाये जाने के पीछे कांग्रेस पार्टी की क्या सोच हो सकती है, यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी। लेकिन राजनीतिक पंडितों की माने तो पार्टी सचिन जैसे युवा चेहरे को केंद्रीय नेतृत्व देने का विचार कर रही है। यही वजह है कि उन्हें राजस्थान की राजनीति से अलग हटकर जिम्मेदारी दी गई है। राजनीतिक जीवन में व्यस्त रहने की वजह से सचिन संभवतया अपने परिवार के लिए समय नहीं दे पा रहे थे, जिस वजह से पत्नी संग रिश्ते भी टूट गए।
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