Vasundhara Raje : राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की अनदेखी का नुकसान भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनावों में उठाना पड़ा है। इसके बाद से ही पार्टी के कार्यकर्ता और अन्य नेता भी फिर से पूर्व मुख्यमंत्री की सक्रियता की मांग कर रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश में चल रही मौजूदा बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री समेत आधे से अधिक विधायक और मंत्री अनुभवहीन है। कहने का आशय है कि अधिकतर पहली बार सत्ता में है।
प्रदेश में चल रही अनुभवहीन सरकार का खामियाजा भी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ा है। इसका नकारात्मक संदेश जनता के बीच भी जा रहा है, जिसमें अधिकतर लोगों का यही मानना है कि सीएम भजनलाल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पूरी तरह केंद्र पर निर्भर है। बीते रविवार 7 जुलाई को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपने सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास से निकले, और 500-600 मीटर दूर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास पहुंचे।
मौजूदा सीएम और पूर्व सीएम के बीच इस दौरान करीब 1 घंटे तक बाचतीत हुई। लेकिन मुलाकात के बाद दोनों ही नेताओं की तरफ से और ना ही पार्टी की तरफ से कोई भी बयान या फिर सोशल मीडिया पोस्ट नहीं की गई। ऐसे में यह किसी को पता नहीं चल पाया कि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई। ना कोई बयान और ना कोई फोटो, ऐसे में दोनों नेताओं की मुलाकात कई संकेतों को जन्म देती है। इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में कई बातें हो रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आगे बढ़कर पूर्व सीएम से मुलाकात करना प्रदेश की सियासत में कुछ बड़ा करवा सकता है। संभावना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को प्रदेश की सक्रिय राजनीति में वापस लाने को मनाने के लिए सीएम भजनलाल को आगे किया है। गौरतलब है कि वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव परिणामों ने राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की अहमियत को फिर से संजीवनी प्रदान की है। इन चुनावों में भाजपा 25 में से 11 सीटें हार गई।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, लोकसभा चुनाव प्रचार में अगर वसुंधरा राजे स्वयं को बेटे दुष्यंत सिंह की सीट झालावाड़-बारां तक सीमित नहीं करती , तो चुनाव परिणाम आज और कुछ होते। राजनीति के जानकार कहते है कि वसुंधरा राजे का प्रदेशभर में प्रचार करना पार्टी के लिए फायदे का सौदा होता। यह इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चुनाव प्रचार में वसुंधरा राजे को आगे रखा था, भले ही सीएम फेस न रखा हो।
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बीजेपी को विधानसभा चुनाव प्रचार में वसुंधरा राजे को आगे रखने का लाभ मिला और पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रही। लेकिन इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को दरकिनार कर सांगानेर सीट से पहली बार विधायक चुने गए ‘भजनलाल शर्मा’ को मुख्यमंत्री बना सभी को हैरान कर दिया था। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में हार और अनुभवहीन सरकार की हताशा को देखते हुए पार्टी में आत्ममंथन, आत्मचिंतन और आत्मावलोकन का दौर चल रहा है। संभावना प्रबल है कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे एक सक्रिय भूमिका में फिर से दिखाई दें। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व का न्हें मनाना आसान नहीं दिखाई देता।
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