Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस एवं एपेक्स हॉस्पिटल के कोलैबोरेशन में ‘प्रतिभा का पुनजागरण-प्रेरणा: कॉर्पोरेट हिंदी उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि आईपीएस विकास कुमार (एटीएस हेड, जयपुर) ने बताया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, हमारी बुनियाद और स्वाभिमान है। हिंदी सीखी नहीं जाती, सृजित होती है।
उन्होंने शिवानी और रबीन्द्रनाथ टैगोर के उदाहरण सहित समझाया कि जिस भाषा में विचार जागते हैं, उसी में लिखना चाहिए = जैसे हमारी मातृभाषा हिंदी है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे नवीन तकनीकी शिक्षा के साथ अपनी मातृभाषा और संस्कृति से जुड़े रहें, क्योंकि भाषा का सम्मान एवं प्रचार उससे पीढ़ियों तक जीवंत रखता है।
हिंदी के प्रयोग में कमी के चार प्रमुख कारण-वशीकरण, स्थानीयकरण, समावेशीकरण और शुद्धिकरण बताए। अंत में उन्होंने उल्लेख किया कि भाषा, संस्कृति और विरासत की जड़ों से जुड़े रहकर ही भारत पुन: विश्वगुरु बनेगा, और इसके लिए हर युवा को परंपरा और तकनीक का संतुलन साधना होगा। जब चुनौतियाँ अवसर बनेंगी और अवसर उपलब्धि में ढलेंगे, तभी युवाओं के सबल कंधों पर भारत का स्वर्णिम भविष्य सुरक्षित होगा।
पूरे कार्यक्रम में जयपुर स्कूल ऑफ बिज़नेस की डीन, प्रो. (डॉ.) रेनू पारीक उपस्थित रहीं। इस आयोजन के फ़ैकल्टी कोऑर्डिनेटर डॉ. रौशन दिवेश थे। इस समारोह से जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी का संदेश यही रहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की गूंज, हमारी धरोहर और हमारे स्वाभिमान का आधार है।
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