- Hindi News
- स्थानीय
- High court order on chest measurement of girls in government job recruitment
सरकारी नौकरी की भर्ती में लड़कियों की छाती नापना पड़ेगा भारी, पढ़ें हाईकोर्ट का ये आदेश

- छाती नापने का मानदंड मनमाना
- निजता के अधिकार पर आघात
- वनरक्षक परीक्षा में छाती नापकर बताया अयोग्य
राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में शारीरिक दक्षता परीक्षण के समय महिला उम्मीदवारों की छाती नापने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने निंदा की है। हाईकोर्ट का कहना है कि यह प्रक्रिया फीमेल कैंडिडेट्स की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है। साथ ही सरकारी भर्तियों में फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला उम्मीदवारों के फेफड़ों की क्षमता को नापने का कोई अन्य विकल्प तलाशने की भी बात कही।
यह भी पढ़े - फसल बचाने को खेतों में पानी लगाएं किसान, पढ़ें मौसम विभाग की ये चौंकाने वाली रिपोर्ट
छाती नापने का मानदंड मनमाना
हाईकोर्ट का कहना है कि शारीरिक परीक्षण के दौरान फेफड़ों की क्षमता को नापने का मानदंड पूरी तरह से मनमाना है। यह महिला उम्मीदवारों की गरिमा को ठोस पहुंचाता है। साथ ही उनकी शारीरिक स्वायत्ता और मानसिक अखंडता को भी प्रभावित करता है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि विशेषज्ञों की राय लेकर इसके अन्य विकल्प तलाशे जाएं।
निजता के अधिकार पर आघात
हाईकोर्ट के जस्टिस मेहता ने 10 अगस्त को आदेश जारी कर कहा कि फीमेल्स में छाती का आकार उसकी शारीरिक योग्यता या फेफड़ों की क्षमता का निर्धारक नहीं होना चाहिए। यह मानदंड मनमाना है। उच्च न्यायालय ने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 14 और 21 के तहत प्रदत्त, महिला की गरिमा और निजता के अधिकार पर स्पष्ट आघात है।
यह भी पढ़े - गहलोत सरकार को जगाने राजस्थान में आ धमकी बसपा, धौलपुर से आकाश आनंद ने भरी हुंकार
वनरक्षक परीक्षा में छाती नापकर बताया अयोग्य
जस्टिस दिनेश मेहता ने एक याचिका की सुनवाई की जिसमें वनरक्षक पद के लिए तीन महिलाओं उम्मीदवारों को छाती नापने की प्रक्रिया में अयोग्य बताकर बाहर कर दिया था। जबकि उन्होनें शारीरिक दक्षता परीक्षा पास कर ली थी। परीक्षा एजेंसी के इस फैसले को उन फीमेल कैंडिडेट्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने भर्ती में बिना हस्तक्षेप किए इस मामले में विचार-विमर्श करने के लिए कहा है। याचिका के बाद महिला उम्मीदवारों की पात्रता के लिए अदालत ने एम्स के मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए भर्ती एजेंसी के फैसले को बरकरार रखा लेकिन इस तरीके पर आपत्ति जताई है।







