- जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन
- पानी नहीं तो वोट नहीं का नारा
Rajasthan News: जल के बिना स्वस्थ और संपूर्ण जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। राजस्थान का नाम आते ही दिमाग में सूखा प्रदेश की तस्वीर सामने आने लगती है। एक समय था, जब राजस्थान में आये दिन सूखा पड़ता था लेकिन आजादी के 76 सालों में मरुधरा काफी बदली है। सरकार, प्रशासन और जागरूक जनता द्वारा प्रदेश को हरियाली से भरपूर बनाया गया है। प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में बिजली-पानी की उचित व्यवस्थाएं भी है। इसके बाबजूद आज भी राज्य में कई ऐसे क्षेत्र है, जहां पानी जैसी मूलभूत समस्या का सामना आम लोगों को करना पड़ रहा हैं। चलिए जानते है एक ऐसी ही जगह और वजह के बारे में –
हम बात कर रहे है जैसलमेर की 'लक्ष्मीचंद सांवल कॉलोनी' (Jaisalmer Laxmichand Sawal Colony) की, जिसे नगरपरिषद द्वारा साल 2008 में काटा गया था। यहां करीब पांच हजार से अधिक लोग निवास करते है। कॉलोनी बने लगभग 15 साल का समय बीत चुका हैं, लेकिन आज तक यहां लोग पानी के टैंकर मंगवाकर पानी पीने को मजबूर है। पानी-बिजली की मूलभूत जरूरतों को लेकर बीते 5 दिनों से कॉलोनी के स्थानीय निवासी आंदोलन कर रहे है, लेकिन प्रशासन अभी भी आंख मूंदकर बैठा हैं।
जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन
सरकार द्वारा बनाई गई कॉलोनियों का यही हाल प्रदेश में कई जगहों पर देखा जा सकता है। फिलहाल जैसलमेर की 'लक्ष्मीचंद सांवल कॉलोनी' के लोग जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन (Demonstration) कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्यायों का समाधान करने का जिम्मा लेने का बीड़ा उठाने अभी कोई भी प्रशासन से नहीं आया है। प्रदर्शन के दौरान कॉलोनी वासी जुलूस निकालकर नगरपरिषद् प्रशासन (Municipal Council Administration) और जिला प्रशासन (District Administration) के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं।
पानी नहीं तो वोट नहीं का नारा
कॉलोनी के नागरिकों ने कहा है कि यदि इस बार नगरपरिषद् द्वारा मूलभूत सुविधाएं हमें उपलब्ध नहीं कराई जाएंगी, तब तक धरना जारी रहेगा। कॉलोनी वासियों ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार (Boycott of Assembly Elections) किया जाएगा। मांगे पूरी नहीं होने पर कॉलोनी के लोग मतदान में भाग नहीं लेंगे।
यह भी पढ़े: बड़ी खबर, जजमेंट वाले बयान पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सीएम अशोक गहलोत से मांगा जवाब