Jain Samaj News: भारत विविधताओं से भरा राष्ट्र हैं। यहां कई धर्म और आध्यात्मिक समाज हैं, जो अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का निर्वहन करते हैं। इन्हीं में से एक है जैन धर्म, जो धरती पर सबसे प्राचीन धर्मों में एक माना जाता हैं। एक समय था, जब यह धर्म सिर्फ भारत तक ही सीमित था, लेकिन अब अमेरिका, ब्रिटेन, अफ्रीका, जापान से लेकर दुनियाभर के अन्य देशों में जैन धर्म के अनुयायी मौजूद हैं। इस धर्म में कई विशेष व्यवस्थाएं हैं, जानते हैं-
अहिंसा, अपरिग्रहवाद और सांसारिक मामलों के प्रति पूर्ण वैराग्य की आस्था रखने वाले जैन धर्म को दो अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया हैं। इनमें से एक है दिगंबर और दूसरा हैं श्वेताम्बर। आपने देखा होगा कि दिगंबर जैन मुनि बिना कपड़ों के नजर आते हैं और श्वेताम्बर जैन मुनि सफ़ेद लिबास में रहते हैं। क्या कभी आपने यह जानने का प्रयास किया है कि, दिगम्बर जैन समाज के मुनि बिना कपड़ों के क्यों जीवन निर्वहन करते हैं? चलिए जानते है इसकी वजह।
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जैन साधु क्यों नहीं पहनते कपड़े?
जैन दिगंबर साधु अपनी इच्छा से कपड़ों का त्याग करते हैं। उनका मानना हैं कि, कपड़े पहनना इस भौतिकवादी दुनिया का हिस्सा हैं। इसे परिवर्तित करने की जरुरत हैं। जैन दिगंबर साधु मानते है कि भौतिकवादी दुनिया में हर उस चीज को बदलने की जरुरत है, जिसके लिए पैसे खर्च करने की जरुरत होती हैं। यही वजह है कि वह सबकुछ त्याग देते हैं, जिसमें कपड़े भी शामिल होते है। जैन मान्यता है कि, किसी के साथ कुछ नहीं आता और कुछ भी मानवीय नहीं होता है।
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आजीवन करते हैं ब्रह्मचर्य व्रत
दिगंबर जैन साधुओं को आजीवन ब्रम्हचर्य व्रत का पालन करना होता है। साथ ही सांसारिक सुख त्यागने के साथ वस्त्रों को भी छोड़ना पड़ता हैं। कहते है, जिस तरह बचपन में बच्चे नग्न अवस्था में होने के बावजूद सच्चे होते है, उसी तरह वस्त्र त्याग जैन मुनि भी हर तरह की भौतिक भावनाओं से मुक्त हो जाते हैं।