चीन की हर दिन बढ़ती दादागिरी को रोकने के लिए अब अमेरिका ही नहीं ऑस्ट्रेलिया और जापान भी एक साथ जुड़ने वाले हैं। चीनी ड्रैगन का सफाया करने के लिए पानी को ही हथियार बनाने की तैयारियां की जा रही हैं। ऑकस डील के तहत ऑस्ट्रेलिया आठ सबमरीन खरीदने जा रहा है। जिसमें उसकी अमेरिका और ब्रिटेन भी मदद करेंगे। आस्ट्रेलिया इसके लिए 368 अरब डाॅलर का खर्च भी करने वाला है।ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेने के प्रधानमंत्री सहित अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इस बात का ऐलान किया है। परमाणु उर्जा से चलने वाली यह सबमरीन ऑस्ट्रेलिया में बनाई जाएंगी। जिसके बाद दुनिया में ऑस्ट्रेलिया का नाम भी उन सात देशों में शामिल हो जाएगा, जो पनडुब्बियां संचालित करते हैं।
चीनी ताकत को तोड़ने के लिए है ऑकस डील चीन बीते कुछ दशकों में दुनिया में बड़ी नौसैनिक शक्ति बनकर उभरा है। जो भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के लिए भी खतरा है। वर्तमान में चीन ताइवान पर भी कब्जे की तैयारी कर रहा है। इसके लिए उसने अपनी ताकत अमेरिका से भी ज्यादा बढ़ा दी है। यह डील भी इसी खतरे से निपटने के लिए की गई थी। जो चीन के लिए एक बुरी खबर है।
आम नहीं हैं ये पनडुब्बी
ऑकस डील से परेशान चीन इसका कड़ा विरोध कर रहा है। चीन की ओर से तो यहां तक कहा गया है कि इससे उनपर खतरा बढ़ सकता है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि यह पनडुब्बी परमाणु उर्जा से चलती है और परमाणु बम लाॅन्च भी कर सकती है। फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि हमेशा परमाणु बम लेकर ही चलेगी। अन्य पनडुब्बियां डीजल इलेक्ट्रिक इंजन से चलती हैं। इन इंजनों को चलाने के लिए इंधन की आवश्यकता होती है। इसके लिए सबमरीन को सतह पर आकर इंधन भरवाना होता है। जबकि परमाणु पनडुब्बी को कई महीनों तक सतह पर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इनमें परमाणु रिएक्टर भी लगा होता है। जिससे यह आसानी से पकड़ में नहीं आती।जो युद्ध के समय में काफी सहायक होता है।