Nasa Moon Train : चांद के आगे भी इक जहां है, कोई नहीं जाता हम वहां है, किसी शायर ने क्या खूब लिखा है। लेकिन आज के दौर में दुनिया चांद पर घर बसाने की तैयारी में लगी हुई है। भारत के चांद के साउथ पोल पर उतरने के साथ ही नासा ने भी चांद पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। चूंकि नासा चांद पर इंसानी बस्ती बसाने के मूड में है। इसलिए वहां पर यातायात के साधन विकसित करने में लगा है। यानी अब चांद पर भी ट्रेन चलने की उम्मीद है। नासा ने कहा है कि वह जल्द ही चांद पर रेल (Nasa Moon Train) चलाएगा। चांद पर उड़ने वाला परिवहन सिस्टम फेल हो सकता है। इसी वजह से नासा का ये FLOAT प्रोजेक्ट काफी चर्चा में है। तो चलिए जानते है कि चंदा मामा पर छुकछुक रेलगाड़ी कैसे चलेगी।
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नासा चलाएगा चांद पर ट्रेन
(Nasa Moon Train)
चूंकि चांद पर उड़ने वाले साधन कारगर नहीं है इसी वजह से नासा ने चांद पर रेलवे ट्रेक बनाने का फैसला किया है। गोल्फ बग्गी कम लोगों के लिए चांद पर ट्रांसपोर्ट का एक अच्छा साधन हो सकता है। लेकिन आबादी बढ़ने और चांद पर होने वाले खनन में यह कारगर नहीं होगा। इसके लिए ट्रेन की जरूरत पड़ेगी। नासा FLOAT नामक नई टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है।
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ऐसे काम करेगा चांद पर रेलवे
(FLOAT Nasa Moon Train)
चांद पर रेलवे सिस्टम अगले दशक तक चालू हो सकता है। चुंबकीय बल पर काम करने वाला ये रेलवे ट्रेक FLOAT तकनीक पर बेस्ड है। फ्लोट का मतलब फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन ए ट्रैक है। NASA के रोबोटिक्स इंजीनियर एथन स्केलर इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं। अनुमान है कि FLOAT एक दिन में 100 टन कार्गो ट्रांसपोर्ट कर सकता है।
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चांद पर पटरी कैसे बिछेगी?
चांद पर रेलवे पटरी एक फोल्ड की जा सकने वाली कालीन की तरह होगी। जरूरत के हिसाब से इसे दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा। हमारी दुनिया में चलने वाली रेल से बिल्कुल हटकर ये मून रेल चुंबकीय शक्ति पर आधारित होगी। जो कि पटरी के ऊपर मैग्नेटिक फोर्स के द्वारा चलेगी। नासा के मुताबिक चांद पर रेलवे पटरी धरती की रेलवे पटरी की तरह नहीं होगी।
चांद पर रेल कब तक चलेगी?
नासा का ये प्रोजेक्ट किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की ओर से संचालित की जाने वाली यह परियोजना काफी महत्वपूर्ण है। अगले दशक तक ये रेलवे ट्रेक पूरा हो जाएगा। यानी 2034 तक चांद पर छुकछुक रेलगाड़ी चल सकेगी।