दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता गोवर्धन असरानी जिन्हें आम प्रशंसक असरानी के नाम जानते है। इस संसार को अलविदा कर गए। उनका 20 अक्टूबर को दिवाली के दिन मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 84 साल के थे। पिछले कुछ दिनों से वे सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहे थे और चार-पांच दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे। डॉक्टरों के मुताबिक, फेफड़ों में पानी भरने की वजह से उनकी मौत हुई।यह खबर दिवाली के दिन आई, जिससे फैन्स और फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। दिलचस्प बात यह है कि मौत से कुछ घंटे पहले ही उनके इंस्टाग्राम पर दिवाली की शुभकामनाओं वाला पोस्ट शेयर किया गया था।
असरानी की आखिरी इच्छा थी कि उनकी मौत की खबर किसी को न बताई जाए, ताकि कोई हंगामा या मीडिया की भीड़ न हो। उन्होंने अपनी पत्नी मंजू से कहा था कि त्योहार के दौरान किसी का मूड खराब न हो। इसी वजह से परिवार ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज श्मशान घाट पर सादगी से कर दिया। सिर्फ परिवार के 20 सदस्य ही मौजूद थे। अंतिम संस्कार के बाद ही निधन की खबर सार्वजनिक की गई।बॉलीवुड के कई सितारे जैसे अक्षय कुमार, अनुपम खेर और पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अक्षय ने बताया कि एक हफ्ता पहले ही वे उनकी फिल्म ‘हैवान’ की शूटिंग में मिले थे।
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर के एक साधारण सिंधी हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता कार्पेट का कारोबार करते थे। बचपन से ही गणित में कमजोर और बिजनेस में बिल्कुल रुचि न रखने वाले असरानी को एक्टिंग का शौक था। स्कूलिंग सेंट जेवियर्स जयपुर से पूरी करने के बाद राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई के दौरान ही ऑल इंडिया रेडियो जयपुर में वॉइस आर्टिस्ट का काम किया।
1960-62 में उन्होंने साहित्य कलभाई ठक्कर से एक्टिंग सीखी। 1962 में मुंबई आकर स्ट्रगल शुरू किया। 1963 में दिग्गज डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी से मिले, जिन्होंने उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेने की सलाह दी। 1964 में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में दाखिला लिया और 1966 में कोर्स पूरा किया। शुरुआत में गुजराती फिल्मों में हीरो के रोल मिले। उन्होंने 4-5 गुजराती फिल्मों में लीड रोल किया, जैसे 1967 की गुजराती मूवी जिसमें वे हीरो बने।
असरानी ने 50 साल से ज्यादा के करियर में 350 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया। वे ज्यादातर कॉमिक रोल्स, सपोर्टिंग रोल्स और कभी-कभी हीरो के दोस्त के किरदारों के लिए मशहूर हुए। 1970 के दशक में उनकी डिमांड सबसे ज्यादा थी—उस दशक में 101 फिल्में की थीं। ऋषिकेश मुखर्जी, गुलजार और प्रियदर्शन जैसी डायरेक्टर्स के साथ कई हिट फिल्में कीं। वे राजेश खन्ना के करीबी दोस्त थे और 1972 से 1991 तक उनकी 25 फिल्मों में साथ दिखे।
शोले आइकॉनिक जेलर का रोल और उनका डायलॉग हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर है आज भी लोगों को हंसाता है। सलीम-जावेद ने हिटलर से इंस्पायर्ड बनाया था।
उन्होंने 1973 में आज की ताजा खबर और 1977 में चला मुरारी हीरो बनने जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया। असरानी गुजराती सिनेमा में भी सक्रिय रहे और 1980s में लीड रोल्स किए। उनकी आखिरी फिल्म 2023 की नॉन स्टॉप धमाल थी। वे अपनी पत्नी मंजू असरानी (जिनसे नमक हराम के सेट पर मिले) और बेटे नवीन के साथ रहते थे। असरानी का जाना हिंदी सिनेमा के एक दौर का अंत है, लेकिन उनके डायलॉग्स और हंसी हमेशा जिंदा रहेंगी।