Shab-e-Barat 2024: मुसलमानों के लिए साल में गिने चुने त्योहार हैं। हाल ही में कुंडे और शबे मेराज के बाद अब शब-ए-बारात का त्योहार आने वाला है। इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के अनुसार शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है। रजब के बाद शाबान आठवां हिजरी महीना होता है। रमजान से ठीक पहले आने वाला यह मुबारक महीना शब-ए-बारात का तोहफा लेकर आता है। इस रात में मुसलमान इबादत करके अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगते हैं। कहा जाता है कि जो लोग शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं उनकी मगफिरत हो जाती है, मतलब मोक्ष की प्राप्ति होती है। मुसलमान इस दिन मीठे पकवान और हलवे क्यों बनाते हैं, आइए जान लेते हैं।
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शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) कैसे मनाते हैं?
शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) यानी गुनाहों से माफी की रात। इस रात को मस्जिद और कब्रिस्तानों को खास तरीके से रौशन किया जाता है। कब्रों पर चिराग जलाकर पुरखों के साथ ही अपनी मगफिरत की भी दुआएं मांगी जाती है। शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) के दिन भारतीय मुसलमान घरों को खास रौशनी से सजाते हैं।
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शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) पर हलवा क्यों बनाते हैं?
इस दिन घरों में लजीज पकवान जैसे, बिरयानी, कोरमा, हलवा आदि बनाकर गरीबों को खिलाया जाता है। ज्यादातर लोग इस दिन सूखा हलवा बनाते हैं। यानी हलवे की चक्की काटकर उसे जमा देते हैं। यह हलवा और पकवान बाद में रमजान में सहरी और इफ्तारी में काम आता है। साथ ही त्योहार होने की वजह से भी बहन बेटियों के इस दिन हलवा भेजा जाता है।
शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) की अहमियत
शब का मतलब है रात और बारात यानी बरी होना यानी के गुनाहों से बरी होने की रात। शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शब-ए-बारात की रात शुरू हो जाती है। इस रात पूर्वजों की कब्रों पर उनके प्रियजन मगफिरत की दुआ मांगने जाते हैं। साथ ही पूरी रात सच्चे दिल से माफी मांगकर जहन्नम से पनाह और जन्नत की तलब की जाती है। कुल मिलाकर शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) की रात को मुसलमानों के पास मौका रहता है कि वह सालभर के पाप एक रात में ही माफ करवा सकते हैं।
कब मनाई जाएगी शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024)?
खाड़ी देशों में इस साल 24 फरवरी को शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) मनाई जाएगी। जबकि भारत में शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) 25 फरवरी को मनाई जाएगी। चूंकि टाइम गैप की वजह से खाड़ी देशों में हिजरी तारीख एक दिन आगे चलती है। ऐसे में ईद भी वहां पर एक दिन पहले ही मनाई जाती है। शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) के बाद 11 मार्च से पवित्र महीना रमजान शुरू होने जा रहा है।