Patthar Mar Holi: इन दिनों सभी जगह होली का रंग चढ़ा हुआ दिख रहा है इस दिन को लेकर सभी लोग बहुत ज्यादा उत्साहित है। होली का पर्व दुनिया भर में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है और ऐसा ही एक अंदाज राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में देखने को मिलता है। वागड़ के नाम से जाने जाना वाला प्रदेश पत्थर मार होली के लिए जाना जाता है। वागड़ की पत्थर मार होली की अनूठी परंपरा 400 सालों से चली आ रही है।
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बहुत ज्यादा चर्चित एवं लोकप्रिय
यहां की होली पूरे वागड़ अंचल के साथ देशभर में चर्चित एवं लोकप्रिय है। एक दूसरे को पत्थर मारने को ‘राड़’ के नाम से जाना जाता है। इस खेल में कहीं लोग चोटीले भी होते हैं, लेकिन इसके बाद भी इसको खेला जाता है।
तय समय तक खेली जाती है
पत्थरों से होली खेलने की परंपरा बहुत सालों से चली आ रही है। धुलंडी के दिन हजारों लोग हिस्सा लेने के लिए इसमें शामिल होते है और एक निश्चित समय तक इसको खेला जाता है। पहले तो गैर नृत्य का आयोजन होता है और इसके बाद पत्थर से राड़ खेलना शुरू होता है। सैकड़ो लोग हाथों में पत्थर ढ़ाल एवं गोफण लेकर तैयार रहते है और फिर सैंकड़ों की संख्या में बटी टोलिया एक दूसरे पर पत्थर बरसाना शुरू कर देती है।
सैकड़ों लोग घायल
टोलियो के मध्य पत्थरबाजी होती है जिसमें हाथों से एवं पीछे गोफण से पत्थर मारने वाले लोग अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं। इस रोमांचक खेल को देखने वाले दर्शकों की संख्या भी बड़ी तादाद में जुटती है। दर्शक सुरक्षित एवं ऊंची जगह पर बैठकर इस खेल का आनंद लेते हैं। इस दौरान सैकड़ों लोगों को सामान्य से गंभीर चोट लगती है।
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खून धरती पर गिरना जरूरी
राड़ को लेकर प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए रोकने का प्रयास किया लेकिन स्थानिय लोग अपनी इस परंपरा को बनाए रखने के लिए हर साल इसको खेलते है। राड़ को लेकर कई प्रकार की किवंदतियां प्रचलित हैं और मान्यता यह है कि इस खेल के दौरान पांच बूंद खून का धरती पर गिरना जरूरी है। इस सांस्कृतिक विरासत को यहां के लोग आज भी बरकरार रखने के लिए ऐसा जोखिम भरा खेल खेलते हैं।