भारत और पाकिस्तान दो अलग देश है तो दोनों के नियम कानून भी अलग ही होंगे। सभी देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को महंगे तोहफे मिलना आम बात है। लेकिन कौनसे गिफ्ट वो अपने पास रख सरते है और कौनसे नहीं इस पर सरकारी नियम बनाए गए है। एक तरफ नियम होने के बाद भी जहां पाकिस्तान में तोहफों की हेराफेरी होती है वहीं भारत की नियत साफ है। भारत में कई ऐसे उच्च मंत्री हुए है जिन्होनें उन महंगे तोहफो को ट्रेजरी में दिया है।
क्या है गिफ्ट रखने के नियम
-पाकिस्तान में कानून के हिसाब से विदेश में मिले हर तोहफे तोशाखाने में रखना पड़ता है।
-पाकिस्तानी रुपए के हिसाब से 30 हजार रुपए की कीमत वाला तोहफा अपने पास रख सकते हैं।
-इससे अधिक कीमत वाले गिफ्ट को भी वहां केवल 50 प्रतिशत राशि जमा कराने के बाद रख सकते हैं।
– भारत में भी नेताओं और अधिकारियों को विदेश में मिले सभी तोहफे डिक्लेयर कर तोशाखाने में जमा कराने पड़ते हैं।
-भारत में कोई नेता विदेश में मिले 5000 रुपए तक कीमत वाला तोहफा खुद रख सकता है।
इससे महंगा होने पर तोशखाने में 5000 रुपए कम करके जमा कराना पड़ता है।
किसने हड़पी किसने ट्रेजरी को दी
पाकिस्तान में मंत्री पद पर रह चुके कई ऐसे नेता है जो 2009 में 26 जनवरी को तत्कालीन पाकिस्तानी प्रेसिडेंट आसिफ अली जरदारी को तीन गाड़ियां तोहफे में मिलीं। उन्होनें सिर्फ 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपए चुकाकर ये गाड़ियां रख लीं। वर्तमान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का अन्य नेताओं से इस मामले में बेहतर रिकॉर्ड रहा है। वहीं 22 अप्रैल, 2006 में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रेसिडेंट जनरल परवेज मुशर्रफ ने तोहफे में मिली कार को ना तो तोशखाने में जमा करवाया और ना ही उसकी कोई कीमत चुकाई।
भारत में पाकिस्तान के विपरीत स्थिति है। यहां पर नेताओं को मिलने वाले महंगे तोहफो को वे खुद के पास नहीं रखते है। भारत में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे उच्च मंत्री पद रह चुके नेताओं ने या तो उन महंगे तोहफो को तोशखाने में जमा करवाया है या फिर उसकी कीमत चुकाकर अपने पास रखा था।
बता दें कि इमरान खान पर यह आरोप लगा है कि उन्होनें सरकारी खजाने के बेहद कीमती पुरस्कारों को खरीदकर उन्हें अरबों रुपए में बेच दिया था। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें 29 मार्च तक गिरफ्तारी का ऑर्डर जारी किया है।