जयपुर। एक सदी यानि 100 साल में क्या-क्या बदल सकता है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन प्रतीत होता है। एक सदी के लिए दुनिया की बड़ी आबादी भी साक्षी नहीं बन पाती है। उसी उम्र में यदि कोई सपना पूरा कर ले तो कैसा लगेगा!
1. ऐसे की शुरूआत
लेकिन इंग्लैंड मैज ब्राउन के साथ वही हुआ है। इंग्लैंड में रहने वाली Madge Brown 101 साल की हो चुकी हैं। फरवरी में उन्हें वो खुशी मिली जो उनकी यादों में मरते दम तक रहेगी। लंदन यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद टीचिंग डिग्री से नवाजा। टीचिंग कोर्स पूरा करने के 8 दशक बाद उन्हें यह डिग्री मिली है। उन्होंने यह कोर्स नॉटिंगहम कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन से किया था। अब यह बंद हो चुका है। मैज ब्राउन के साथ शीला गार्डन को भी 94 साल की उम्र में बैचलर ऑफ एजुकेशन की डिग्री मिली है। बीते महीने एक खास समारोह में दोनों को डिग्रियां दी गईं।
2. मानद टीचिंग डिग्री ली
लंदन यूनिवर्सिटी ने 22 फरवरी को जब मैज ब्राउन को मानद टीचिंग डिग्री दी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। इस खुशी में उनके आंसू छलक पड़े। कुछ यही हाल शीला गॉर्डन का था। ब्राउन 101 साल और गॉर्डन 94 साल की हो चुकी हैं। दोनों महिलाओं ने 1940 के दशक में नॉटिंगहम यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। उस वक्त टीचरों को दो या तीन साल का ट्रेनिंग कोर्स करना पड़ता था।
3. युवाओं की जिंदगी बदलने मेंयोगदान
लंदन यूनिवर्सिटी से मानद टीचिंग डिग्री पाने वाली पहली महिलाएं
ये दोनों महिलाएं यूनिवर्सिटी की मानद टीचिंग डिग्री प्राप्त करने वाली पहली दो महिलाओं में शुमार हैं। टीचिंग क्षेत्र के प्रति निष्ठा और युवाओं की जिंदगी बदलने में खास योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया। 1930 से 1980 के दशक के बीच लंदन एरिया के टीचिंग कॉलेज से डिग्री पाने वालों को सम्मान स्वरूप यह पहल शुरू की गई है। इसके बाद टीचरों को बैचलर या ग्रेजुएट डिग्री लेने की जरूरत होने लगी।
4. ऐसे पूरा किया डिप्लोमा
ब्राउन ने 1938 में कॉलेज में अपना कोर्स शुरू किया था। उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक साल का ब्रेक लेकर नर्स का काम किया था। 1942 में उनका फिजिकल एजुकेशन में डिप्लोमा पूरा हुआ था। वह युद्ध के दौरान भी पढ़ाती रहीं। गॉर्डन ने युद्ध खत्म होने के कुछ साल बाद 1949 में कोर्स पूरा किया था।
5. ये रहा टीचिंंग के दिनों का अनुभव
ब्राउन का कहना है कि टीचर के तौर पर गुजरे उनके साल सबसे सुहावने थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी के प्रयास की सराहना की। लेकिन, साथ ही यह भी कहा कि यह कुछ देर से हुआ है। उन्हें फिजिकल एजुकेशन में डिप्लोमा को पहले ही डिग्री बना देना चाहिए था। फरवरी का समारोह ब्राउन के घर में आयोजित हुआ था। इसमें मित्रों और परिवार के सदस्यों ने शिरकत की थी। लंदन यूनिवर्सिटी की प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर मैरी स्टीआसनी ने दोनों महिलाओं को डिग्री दी।