Surah Qadr in Hindi : रमजान का आखिरी अशरा है और कल चौथी शबे कद्र थी। इसे हम भारत में 27वीं रात भी कहते हैं। इसी रात में कुरान शरीफ नबी ए करीम पर उतारा गया था। ये रात 30 हजार दिन के बराबर होती है। कुरान की सूरत जिसमें जिसमें लैलतुल कद्र की फजीलत बयान की गई है उसे सूरह कद्र कहा गया है। तीसवे पारे की ये सूरत काफी फजीलत वाली है। 8 अप्रैल 2024 सोमवार की रात को पांचवी और अंतिम शबे कद्र (5th Shabe Qadr) है जिसमें आपको ये सूरत तिलावत करनी चाहिए। हमने हिंदी में सूरह अल कद्र का तुर्जुमा (Surah Qadr in Hindi) यहां पेश किया है ताकि भारतीय मुस्लिम बंधु भी इस सूरत का मतलब दिल से समझ सके।
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सूरह कद्र हिंदी में (Surah Qadr in Hindi)
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना अन्ज्ल्नाहू फी लैलतिल कद्री
व मा अद्रा क माँ लैल्तुल कद्र
लैलतुल कद्री खैरुम मिन् अल्फी शहर
त न्ज्ज्लुल मलाई कतु वारुर फिहा बी इजनी रब्बिहिम् मिन् कुल्लि अमरिन
सलामुन ही य हता मत लअिल फजर
सूरह क़द्र का हिंदी तर्जुमा (Surah Qadr Hindi Translation)
बेशक हम ने कुरआन को शबे क़द्र में नाजिल फ़रमाया है
और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है ?
शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है
इस रात में फ़रिश्तों के सरदार रूहुल अमीन (जिब्राईल अलैहिस्सलाम) अपने रब के हर काम का हुक्म लेकर उतरते हैं
ये रात (सारापा) पूरी तरह सलामती है, जो सुबह फज्र होने तक रहती है
Surah Qadr English Translation
Innaa anzalnaahu fee lailatil qadr
Wa maa adraaka ma lailatul qadr
Lailatul qadri khairum min alfee shahr
Tanaz zalul malaa-ikatu war roohu feeha bi izni-rab bihim min kulli amr
Salaamun hiya hattaa mat la’il fajr
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सूरह क़द्र की फजीलत?
सूरह कद्र कुरान मजीद की 97वीं सूरत है। इसमें 5 आयते हैं। तीसवे पारे की ये सूरत कुरान की सबसे पावरफुल सूरत है। जिसमें खुद कुरान शरीफ के नाजिल होने का बयान किया गया है। इसमें शबे कद्र यानी लैलतुल कद्र के बारे में बताया गया है कि इस रात में ही कुरान का नुजूल हुआ है। इस रात में जिब्राईल अलैहिस्सलाम फरिश्तों के लश्कर के साथ जमीन पर उतरते हैं और अल्लाह के हु्क्म से सुबह फज्र तक खैर ओ बरकत तक्सीम करते हैं। इस दौरान जो बंदा इबादत और जिक्र में मशगूल रहता है उससे मुसाफा करते हैं। फरिश्ते उसके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं। जो मुसलमान इस रात में सच्चे दिल से इबादत करता है तो उसे 1000 महीने की इबादत यानी 83 साल और चार महीने की इबादत करने का सवाब मिलता है। उसके अगले पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। अल्लाह हमें कल आखिरी शबे कद्र की सही तरीके से कदर करने की तौफीक अता फरमाएं।